झुल्फ़ घटा बन्कर लहराए आँख कमल होजाए| २
सायर तुम को पल भर सोचे और गजल होजाए
और गजल होजाए ...........
झुल्फ़ घटा बन्कर लहराए आँख..................
जिस दीपक को हाथ लगादो जले हजारो साल २
जले हजारो साल...................
जिस कुटिया मे रात बितादो ताज महल होजाए
सायर तुम को ..............
कितनी यादे आजाती है दस्तक दिए बेगैर
दस्तक दिए बेगैर............
अब इतना भी सूना पन क्या घर जंगल होजाए २
घर जंगल होजाए
सायर तुम को पल भर सोचे और गजल होजाए
झुल्फ़ घटा बन्कर लहराए ...........................
तु आए तो पंख लगाकर उर् जाती है साम् २
उर् जाती है साम्............
दिनो लम्बी रात शिम्त कर पल दो पल होजाए २
सायर तुम को पल भर शोचे और गजल होजाए
झुल्फ़ घटा बन्कर लहराए ....
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