शुक्रवार, 20 मई 2011

बिना पन्छी का कोइ पेर पौधा अच्छा नही लगता

बिन मौसम  के बर्सात अछा नही लगता
बिन सजनी के कोइ बाट अच्छा नही लगता 
बिन चाँदनी के ये रात अच्छा नही लगता 
हर रोज किशी से मुलाकत अच्छा नही लगता 
बिना पानी का कोइ नदिया अच्छा नही लगता 
बिन झरना का कों पहाड़ अच्छा नही लगता 
बिना पन्छी का कोइ  पेर पौधा  अच्छा नही लगता
इसी तरह तुम्हारे बिना कोइ पल अच्छा नही लगता 


कमलेश कुमार   (जनकपुर धाम )

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