मैले के गलती गरे तेस्को सज्जा आज म भोग्दै छु मैले त उलाई बिर्शिन शकिन र जिन्दगि मा कैले पनि बिर्शिन होला येही हो मेरो अधुरो प्रेम कथा
म आज पनि तर्पी राको छु त्यो निस्ठुरी को याद मा
शनिवार, 14 मई 2011
यहाँ के हम आपना दिल मे बिठा क रख्लौ
यहाँ के हम आपना दिल मे बिठा क रख्लौ
तै यो यहाँ नै बुझ्लौ हमार मनक भावना
हम त यहाँ के यै दुनिया श छुपा क रख्लौ
हम यहाँ के बिन जी नै सकी छि इबात सब जनै ऐ६
लेकिन फीर भी हम कोशिस कैलौ
हमरा त यहाँ बिसैर गेलु हम लेकिन यहाँ के आइवो हम याद रख्लौ
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