मैले के गलती गरे तेस्को सज्जा आज म भोग्दै छु मैले त उलाई बिर्शिन शकिन र जिन्दगि मा कैले पनि बिर्शिन होला येही हो मेरो अधुरो प्रेम कथा
म आज पनि तर्पी राको छु त्यो निस्ठुरी को याद मा
मंगलवार, 17 मई 2011
मेरे गम मेरे सर का सरताज है
यौ ना हंसो मेरे गम पे तु मेरे गम मेरे सर का सरताज है
जो गुजर गया वो कल था जिस गम के सहारे जिरहाहू वो आज है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें