मंगलवार, 17 मई 2011

खत लिखता हु तो आँख भर आता है 
याद कर्ता हु तो दिल तरप उठ्ता है 

मै क्या करु कुछ शम्झ मे नही आता 
कास तुम ये जान पाती कि तेरे प्यार मे कोइ कितना रोता है 






कमलेश कुमार 

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