एक तिर दो शिकार एक भगवान दो अवतारएक लड्की दो यार दो दिल एक प्यार
दो शरीर एक जान एक जान दो सम्मान दो सम्मान एक महफिल एक महफिल
धेर सारे इन्सान उसी के बीच मे मेरी जान जान के नजर मे है बहुत सारे मेहमान
मगर कोइ नही जनता छत पे लटका है मेरी जान
कमलेश कुमार
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