शनिवार, 18 जून 2011

लटका है मेरी जान

एक तिर दो शिकार एक भगवान दो अवतारएक लड्की  दो यार  दो दिल एक प्यार 
दो शरीर  एक जान  एक जान दो सम्मान दो सम्मान एक महफिल एक महफिल 
धेर सारे इन्सान उसी के बीच मे मेरी जान जान के नजर मे है बहुत सारे मेहमान 
मगर कोइ नही जनता छत पे लटका है मेरी जान 




कमलेश कुमार

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