मैले के गलती गरे तेस्को सज्जा आज म भोग्दै छु मैले त उलाई बिर्शिन शकिन र जिन्दगि मा कैले पनि बिर्शिन होला येही हो मेरो अधुरो प्रेम कथा
म आज पनि तर्पी राको छु त्यो निस्ठुरी को याद मा
शनिवार, 11 जून 2011
ए शायरी कविता और कथा..........................................
ए शायरी कविता और कथा मेरी जिन्दगि का मकसद है
मै पहले बिजी होता था तेरे प्यार मे अभि तो फुर्सत हि फुर्सत है
तुम बाहर मत निक्लना अपने घर से घर मे हि बैथी रहना
क्युकी अब तो ए दुनिया बाले भी तुम्से नफरत करते है
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